प्रकृति के झरने
प्रकृति के झरने
झरनों की अपनी खुशबू नहीं होती
पर जिधर से गुजरते हैं खुशबुएं बिखेर देते हैं।
साफ बहता जीवनदायी ये पानी मानो अमृत समान है
इसको पी कर जीव जंतु पुष्प पौधे निखर रहे हैं
हर तरफ खुशबुओं के मंजर बिखर रहे हैं।
एक जीवन का संगीत भरा है इसके तन मन में
कल कल बहता पानी भर देता जीवन कण कण में
अपने किनारों पे बिछा कर मखमली हरी भरी दूब
चमक रहा हीरे सा जब भी पड़ती इसपर धूप।
और किसी शोड़सी सा इठलाता बलखाता
मदमस्त चाल में आगे बढ़ रहा
कूदता फांदता अपनी नियति घड़ रहा
कल मिल जाएगा जाकर किसी नदिया में।
फिर हो जाएगा शांत किसी मां के जैसा
जो जीवन सृजन कर अपने लाडलों को निहारती
और भावनाओं के वेग को भी संभालती
उसकी ममता उसे एक नए रूप में ढालती।
भावनाओं के सागर में खुद ही खुद को मिटाती
फिर एक बार बादल बन बरस जाती
एक नए झरने का रूप लेकर
फिर से जीवन सृजन की नई सुबह खिलाती।।
आभार - नवीन पहल - १८.०२.२०२२ 🙏🙏👍
# वार्षिक काव्य प्रतियोगिता
Swati chourasia
01-Mar-2022 03:59 PM
बहुत सुंदर 👌
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Punam verma
19-Feb-2022 08:14 AM
Very nice sir
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नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:00 PM
Thank you ji
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Seema Priyadarshini sahay
18-Feb-2022 11:51 PM
बहुत खूबसूरत
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नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:00 PM
धन्यवाद जी
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